मानव और कुदरत का अटूट संबंध है। प्रकृति की हर हलचल मानव जीवन को और इंसान की हर गतिविधि प्रकृति को प्रभावित करती है। प्राचीन ऋषि मुनियों ने यही ज्ञान-विज्ञान जान-समझकर ग्रह-नक्षत्रों को सांसारिक जीवन के सुख-दु:ख नियत करने वाला भी बताया।
यही कारण है कि इंसान का कुदरत के साथ बेहतर तालमेल कायम रखने के लिए ज्योतिष शास्त्रों व धार्मिक कर्मों द्वारा ग्रह-नक्षत्रों की देव शक्तियों के रूप में पूजा और स्मरण का महत्व भी बताया गया है। ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक हर ग्रह जीवन में विशेष सुख-दु:ख का कारक है। इसलिए हर दिन ग्रह विशेष का खास मंत्रों से स्मरण सांसारिक कामनाओं को सिद्ध करने वाला माना गया है।
इसी कड़ी में नवग्रह उपासना के लिए हर रोज एक ऐसा शुभ मंत्र बोलने का महत्व भी बताया गया है, जिसके द्वारा नवग्रह सूर्य, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु व केतु का स्मरण एक ही साथ किया जा सकता है। यह हर दिन और काम को शुभ बनाने वाला, नवग्रह दोष शांति व अनिष्ट से रक्षा करने वाला अचूक ज्योतिषीय मंत्र उपाय भी माना गया है। जानिए यह मंत्र और आसान पूजा उपाय -
- हर रोज यथासंभव नवग्रह मंदिर में हर ग्रह को पवित्र जल से स्नान कराएं व गंध, अक्षत, फूल अर्पित करें। धूप व दीप लगाकर नीचे लिखा नवग्रह मंत्र का स्मरण करें या जप माला से 108 बार स्मरण कर मंगल कामनाओं के साथ मिठाई का भोग लगाकर आरती करें -
ॐ ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुत्व शुक्रश्च शनिश्च राहु: केतुश्च सर्वे प्रदिशन्तु शं मे।।
-किसी विद्वान ब्राह्मण से ग्रह विशेष के लिए विशेष पूजा सामग्री की जानकारी लेकर पूजा की जाए तो यह उपाय जल्द मनोरथसिद्धि करने वाला सिद्ध होता है।
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ॐ ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुत्व शुक्रश्च शनिश्च राहु: केतुश्च सर्वे प्रदिशन्तु शं मे।।
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