Wednesday, March 28, 2018

आसाम का काला जादू और तंत्र सिद्ध महिलाए

आसाम को ही पुराने समय में कामरूप प्रदेश के रूप में जाना जाता था। कामरुप प्रदेश को तन्त्र साधना के गढ़ के रुप में दुनियाभर में बहुत नाम रहा है। पुराने समय में इस प्रदेश में मातृ सत्तात्मक समाज व्यवस्था प्रचलित थी, यानि कि यंहा बसने वाले परिवारों में महिला ही घर की मुखिया होती थी। कामरुप की स्त्रियाँ तन्त्र साधना में बड़ी ही प्रवीण होती थीं। बाबा आदिनाथ, जिन्हें कुछ विद्वान भगवान शंकर मानते हैं, के शिष्य बाबा मत्स्येन्द्रनाथ जी भ्रमण करते हुए कामरुप गये थे। बाबा मत्स्येन्द्रनाथ जी कामरुप की रानी के अतिथि के रुप में महल में ठहरे थे। बाबा मत्स्येन्द्रनाथ, रानी जो स्वयं भी तंत्रसिद्ध थीं, के साथ लता साधना में इतना तल्लीन हो गये थे कि वापस लौटने की बात ही भूल बैठे थे। बाबा मत्स्येन्द्रनाथ जी को वापस लौटा ले जाने के लिये उनके शिष्य बाबा गोरखनाथ जी को कामरुप की यात्रा करनी पड़ी थी। 'जाग मछेन्दर गोरख आया' उक्ति इसी घटना के विषय में बाबा गोरखनाथ जी द्वारा कही गई थी।
कामरुप में श्मशान साधना व्यापक रुप से प्रचलित रहा है। इस प्रदेश के विषय में अनेक आश्चर्यजनक कथाएँ प्रचलित हैं। पुरानी पुस्तकों में यहां के काले जादू के विषय में बड़ी ही अद्भुत बातें पढऩे को मिलती हैं। कहा जाता है कि बाहर से आये युवाओं को यहाँ की महिलाओं द्वारा भेड़, बकरी बनाकर रख लिया जाता था।
आसाम यानि कि कामरूप प्रदेश की तरह ही बंगाल राज्य को भी तांत्रिक साधनाओं और चमत्कारों का गढ़ माना जाता रहा है। बंगाल में आज भी शक्ति की साधना और वाममार्गी तांत्रिक साधनाओं का प्रचलन है। बंगाल में श्मशान साधना का प्रसिद्ध स्थल क्षेपा बाबा की साधना स्थली तारापीठ का महाश्मशान रहा है। आज भी अनेक साधक श्मशान साधना के लिये कुछ निश्चित तिथियों में तारापीठ के महाश्मशान में जाया करते हैं। महर्षि वशिष्ठ से लेकर बामाक्षेपा तक अघोराचार्यों की एक लम्बी धारा यहाँ तारापीठ में बहती आ रही है।

108 नामावली - श्री हनुमान जी के 108 नाम

हनुमान जी के प्रसिद्ध नाम और उनका मुख्य अर्थ :
ॐ हनुमते नमः
ॐ श्रीप्रदाया नमः
ॐ वायुपूत्राया नमः
ॐ अजराया नमः
ॐ अमृत्याया नमः
ॐ मारुताथमज़ाया नमः
ॐ विराविराया नमः
ॐ ग्रामवासाया नमः
ॐ जनश्रयड़ायाया नमः
ॐ रुद्राया नमः
ॐ अनागाया नमः
ॐ धनदायाया नमः
ॐ अकायाये नमः
ॐ विरये नमः
ॐ वागमिने नमः
ॐ पिंगाकशाये नमः
ॐ वारदाये नमः
ॐ सीता शोकविनाशनाये नमः
ॐ रक्तावाससे नमः
ॐ शिवाये नमः
ॐ निधिपटये नमः
ॐ मुनाये नमः
ॐ शरवाये नमः
ॐ व्यक्ताव्यकताये नमः
ॐ रासाधराये नमः
ॐ पिंगाकेशाये नमः
ॐ पिंगरोमने नमः
ॐ श्रुतिगामयाये नमः
ॐ सानातनाया नमः
ॐ पराये नमः
: ॐ अव्यकताये नमः
ॐ अनादाये नमः
ॐ भगवाते नमः
ॐ डेवाये नमः
ॐ विश्वहेटावे नमः
ॐ निराश्रयाये नमः
ॐ आरोगयकारते नमः
ॐ विश्वेश्वाये नमः
ॐ विश्वानायाकाये नमः
ॐ हरिश्वराये नमः
ॐ विश्वमुरताया नमः
ॐ विश्वकाराये नमः
ॐ विषडाये नमः
ॐ विश्वात्मनाय नमः
ॐ विश्वाहाराया नमः
ॐ राव्याय नमः
ॐ विश्वचेशलाये नमः
ॐ विश्वासेवायाय नमः
ॐ विश्वाया नमः
ॐ विश्वागम्याय नमः
ॐ विश्वाध्ययाये नमः
ॐ बालाये नमः
ॐ वृधाध्यये नमः
ॐ यूनाया नमः
ॐ कलाधराये नमः
ॐ प्लावंगगमये नमः
ॐ कपिशेषतया नमः
ॐ विडयाये नमः
ॐ ज्येष्ताये नमः
ॐ तटवाये नमः
वनचराये नमः
ॐ तत्वगामयये नमः
ॐ सखये नमः
ॐ अजाये नमः
ॐ अंजनीसूनावे नमः
ॐ अवायगराये नमः
ॐ भार्गाये नमः
ॐ रामाये नमः
ॐ रामभक्ताये नमः
ॐ कल्याणाये नमः
ॐ प्राकृतिस्तिराया नमः
ॐ विश्वंभाराये नमः
ॐ ग्रामासवंताय नमः
ॐ धराधराय नमः
ॐ भुरलोकाय नमः
ॐ भुवरलोकाय नमः
ॐ स्वर्गालोकाया नमः
ॐ महालोकाय नमः
ॐ जनलोकाय नमः
ॐ तापसे नमः
ॐ अव्यायाया नमः
ॐ सत्याये नमः
ॐ ओंकार्जमयाये नमः
ॐ प्राणवाये नमः
ॐ व्यापकाये नमः
ॐ अमलाये नमः
ॐ शिवधर्मा-प्रतिष्ताये नमः
ॐ रमेशतात्राया नमः
ॐ फाल्गुणप्रियायेया नमः
ॐ राक्षोधनाया नमः
ॐ पंदारिकाक्षायाया नमः
ॐ दिवाकाराया नमः
ॐ समप्रभाये नमः
ॐ द्रोनहार्ताया नमः
ॐ शक्ति राक्षसाया नमः
ॐ गोसपदिकृिताया नमः
ॐ वारिशाये नमः
ॐ पूर्णकमाया नमः
ॐ धरा धिप्प्याय नमः
ॐ शक्ति राक्षसाया नमः
ॐ मारकायाया नमः
ॐ रामदूठाया नमः
ॐ कृष्णाया नमः
ॐ शरणागतवत्सलाया नमः
ॐ जानकीपराणदाताया नमः
ॐ रक्षप्रानहारकाया नमः
ॐ पूर्णाया नमः
ॐ सत्याये नमः
ॐ पितावाससेया नमः
ॐ डेवाया नमः
यही हनुमान जी बजरंग बलि के 108 नामावली है