Wednesday, September 12, 2018

सुबह बोलें यह देवी मंत्र..तन-मन-धन की कमजोरी होगी दूर



सांसारिक जीवन में तन, मन हो या धन के सुख तभी संभव हैं, जब इन तीनों विषयों से जुड़े संयम, अनुशासन और प्रबंधन को कायम रखा जाए। अन्यथा तन की कमजोरी रोग, मन का भटकाव कलह और धन का अभाव दरिद्रता का कारण बन जाता है।

तन, मन व वैभव रूपी ऐसे सुख बंटोरने के लिए ही धार्मिक परंपराओं में गुप्त नवरात्रि (24 जनवरी से 1 फरवरी) की छठी रात मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। पुराणों के मुताबिक जगत कल्याण हेतु कात्यायन ऋषि के घोर तप से प्रसन्न देवी ने उनकी पुत्री रूप में जन्म लिया और कात्यायनी नाम से जगत पूजनीय हुई।

मां कात्यायनी का सिंह पर विराजित चार भुजाधारी दिव्य स्वरूप है। देवी के चार हाथों में वर मुद्रा, अभय मुद्रा, कमल का फूल और खड्ग होता है। मां कात्याययनी की उपासना निर्भय और निरोगी कर सुख-संपन्न बनानी वाली मानी गई है।

इस दिन खासतौर पर सुबह नवदुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की घर या देवी मंदिर में जाकर गंध, अक्षत, फूल, नैवेद्य चढ़ाकर धूप-दीप जलाने के बाद नीचे लिखे देवी मंत्र का भय, संशय, अभाव, रोग से मुक्ति की कामना के साथ स्मरण करें -

सुखानन्दकरीं शान्तां सर्वदेवैर्नमस्कृताम्।

सर्वभूतात्मिकां देवीं शाम्भवीं प्रणमाम्यहम्।।

सरल अर्थ है - शांत स्वरूप, सभी देवताओं द्वारा पूजनीय, सारे जगत की आत्मा, सर्वव्यापी, सारे सुख और आनंद, भुक्ति और मुक्ति देने वाली मां शाम्भवी को मेरा प्रणाम हैं।

No comments:

Post a Comment